म्यांमार में सेना के द्वारा तख्तापलट का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी विरोध किया है। सुरक्षा परिषद ने 1 फरवरी को सेना द्वारा हिरासत में लिए गए म्यांमार के स्टेट काउंसलर आंग सान सू की, राष्ट्रपति विन म्यिंट और अन्य लोगों की तत्काल रिहाई की मांग की है। सुरक्षा परिषद ने आपातकाल की घोषणा पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, लोगों को बंदी बनाने पर आपत्ति जतायी है।

लोकतंत्र और मानवाधिकार के सम्मान पर जोर
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने म्यांमार में लोकतांत्रिक परिवर्तन के लिए समर्थन व्यक्त किया है। सुरक्षा परिषद ने संवाद और सुलह के लिए दोनों पक्षों को बुलाते हुए, लोकतांत्रिक संस्थानों और प्रक्रियाओं को बनाए रखने, हिंसा से बचने और मानवाधिकारों, मौलिक स्वतंत्रता और कानून के शासन का पूरी तरह से सम्मान करने की आवश्यकता पर बल दिया है। सुरक्षा परिषद ने नागरिकों और मीडियाकर्मियों पर लगाए गए प्रतिबंधों पर भी चिंता व्यक्त की है।
प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा अमेरिका
दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने गुरुवार को अपने पहले विदेश नीति संबोधन में, म्यांमार में सेना को शक्ति त्यागने और उसके द्वारा हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं और अधिकारियों को रिहा करने का आह्वान किया है। म्यांमार में सेना के तख्तापलट के जवाब में अमेरिका वहां के लोगों और सैन्य नियंत्रित संस्थाओं पर लक्षित प्रतिबंध लगाने पर भी विचार कर रहा है।